वसुदेव तथा देवकी के आठवें संतान श्रीकृष्ण का जन्म कारगार में हुआ। कृष्ण का वध करने मामा कंस अनेक प्रय्त्न करता है। एक बार सब मिलकर इन्द्र यज्ञ करने लगे और कृष्ण ने उनका विरोध किया। उस ने ग्वालों के साध मिलकर प्रकृति की पूजा करने का निश्चय किया। देवेन्द्र क्रोधित होकर भारी बर्षा कराने पर तुला हूआ। अपने परिजनों की रक्षा करने श्रीकृष्ण ने गोवर्धन ने पर्वत को उठाया। आगे चलकर कंस से युद्ध कर के अपने माता-पिता देवकी और वसुदेव को कारागार से मुक्त किया। कुरुक्षेत्र कि युद्ध में अर्जुन का सारथी बनकर अपने ही भाईयों से युद्ध करने निरासक्त अर्जुन को धर्मोपदेश किया। यही धर्मोंपदेश आज भगवद्गीता के नाम से प्रसिद्ध है।
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